'पल ' ये एक ऐसा शब्द है जिसका मेरे लिए कभी कोई मतलब नही था पर अब समज में आता है की ये शब्द क्या था। 'पल' वो लम्हा है जो गुजर जाने के बाद लौट के नहीं आता, 'पल' वो एहसास है जिसके होने सब कुछ मिल जाता है।
हर किसी की ज़िन्दगी में कुछ ऐसे लम्हे होते है जो उन्हें अंदर तक झंझोर देते है तो कुछ ऐसे होते है जो पूरी ज़िन्दगी काटने के लिए काफी होते है। मुझे ये तो नहीं पता की ये सही है की नहीं पर सब सुना जरुर है,पर गोया कभी ये गुजरा नहीं है। इक बार ऐसे ही किसी सफ़र में कोई मिल गया था वो कुछ हंसकर बोले और हम इससे कुछ और ही समझे। कब ये नासमज दिल समजदार हो गया पता ही न चला बस उनके केशुओं में खोता ही चला गया।
एक रोज़ वो ऐसे ही घुम्शुम से बैठे थे और इस दिल ने कुछ इस कदर अपने रब से कहा की:-
उन आँखों में इतनी गहराई क्यों है जिनमे में डूबना चाहता हूँ,
उन आँखों में इतनी गहराई क्यूँ है जिनमे में डूबना चाहता हूँ।
क्यूँ खामोश है वो लब जिसकी आवाज़ में खोना चाहता हूँ।
ऐ खुदा तू ही बता ऐसी क्या खता हो गयी हमसे,
की आज गुमशुम से बैठे है वो।
चाहे तो मुझे अपने पास बुला ले,
पर इक बार वो ख़ुशी लौटा दे मेरे यार के आँचल में।
पर शायद ये दिल होता ही कुछ ऐसा है वरना मिले तो अनजाने पहले भी थे पर ये इस कदर कभी बहका तो नहीं।
ये कुछ पल का साथ ही तो होता है जो किसी अनजाने को भी ख़ास बना देता है पर ये बात उन्हें समझाये भी तो कैसे
इसी तरह चलते चलते कुछ मीत बन गए जो बीच राह में ही द्गाह दे गए कहते
तो सीना थोक के थे की कदम से कदम मिला के चलेंगे पर आज क्यूँ यूँही बीच मझधार में छोड़ के चले गए। बस ऐसे ही कुछ यारों की याद में ये फ़साना लिख दिया इस पल मेरे नासमज दिल ने :
कुछ बिखरे मोती चुनकर वो लाया था,
कुछ बिखरे मोती चुनकर वो लाया था।
जिनको पत्थर कह कर सबने ठुकराया था।
अपनी मेहनत से तराशा उनको,
पिरो के एक माला में उनको अनमोल बनाया था,
कुछ किस्मत के मारे थे,
कुछ अहंकार में चूर थे,
खुद को मोती समज के,
वो बिखर गए खुद-बा-खुद।
कुछ मोती चुनकर वो लाया था।
बस इन्हों पंक्तियों के साथ में आप सब से इजाज्ज़त चुंगा कभी फिर लिखने का हुआ तो आप सब को सुनाऊंगा।
धन्यवाद!!!
जय श्री कृष्ण!!!
हर किसी की ज़िन्दगी में कुछ ऐसे लम्हे होते है जो उन्हें अंदर तक झंझोर देते है तो कुछ ऐसे होते है जो पूरी ज़िन्दगी काटने के लिए काफी होते है। मुझे ये तो नहीं पता की ये सही है की नहीं पर सब सुना जरुर है,पर गोया कभी ये गुजरा नहीं है। इक बार ऐसे ही किसी सफ़र में कोई मिल गया था वो कुछ हंसकर बोले और हम इससे कुछ और ही समझे। कब ये नासमज दिल समजदार हो गया पता ही न चला बस उनके केशुओं में खोता ही चला गया।
एक रोज़ वो ऐसे ही घुम्शुम से बैठे थे और इस दिल ने कुछ इस कदर अपने रब से कहा की:-
उन आँखों में इतनी गहराई क्यों है जिनमे में डूबना चाहता हूँ,
उन आँखों में इतनी गहराई क्यूँ है जिनमे में डूबना चाहता हूँ।
क्यूँ खामोश है वो लब जिसकी आवाज़ में खोना चाहता हूँ।
ऐ खुदा तू ही बता ऐसी क्या खता हो गयी हमसे,
की आज गुमशुम से बैठे है वो।
चाहे तो मुझे अपने पास बुला ले,
पर इक बार वो ख़ुशी लौटा दे मेरे यार के आँचल में।
पर शायद ये दिल होता ही कुछ ऐसा है वरना मिले तो अनजाने पहले भी थे पर ये इस कदर कभी बहका तो नहीं।
ये कुछ पल का साथ ही तो होता है जो किसी अनजाने को भी ख़ास बना देता है पर ये बात उन्हें समझाये भी तो कैसे
इसी तरह चलते चलते कुछ मीत बन गए जो बीच राह में ही द्गाह दे गए कहते
तो सीना थोक के थे की कदम से कदम मिला के चलेंगे पर आज क्यूँ यूँही बीच मझधार में छोड़ के चले गए। बस ऐसे ही कुछ यारों की याद में ये फ़साना लिख दिया इस पल मेरे नासमज दिल ने :
कुछ बिखरे मोती चुनकर वो लाया था,
कुछ बिखरे मोती चुनकर वो लाया था।
जिनको पत्थर कह कर सबने ठुकराया था।
अपनी मेहनत से तराशा उनको,
पिरो के एक माला में उनको अनमोल बनाया था,
कुछ किस्मत के मारे थे,
कुछ अहंकार में चूर थे,
खुद को मोती समज के,
वो बिखर गए खुद-बा-खुद।
कुछ मोती चुनकर वो लाया था।
बस इन्हों पंक्तियों के साथ में आप सब से इजाज्ज़त चुंगा कभी फिर लिखने का हुआ तो आप सब को सुनाऊंगा।
धन्यवाद!!!
जय श्री कृष्ण!!!
awesome yaar.............
ReplyDeletesuperlike
great...:)
ReplyDeletehey dude... lovely.. mind blowing... awesome.. words seems to be flowing and i m speech less...
ReplyDeletethnax for ur comment.
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